वायनाड, 24 फरवरी 2025 – वायनाड लोकसभा क्षेत्र के सांसद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चूरलमला और मुंडक्कई गांवों के लोगों की दयनीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए तत्काल राहत देने की अपील की है। सांसद ने कहा कि यह अत्यंत दुखद है कि एक भीषण आपदा के छह महीने बाद भी इन गांवों के लोग अपने जीवन और आजीविका को फिर से स्थापित करने में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।

30 जुलाई 2024 का भयावह भूस्खलन

सांसद ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि 30 जुलाई 2024 को वायनाड जिले के चूरलमला और मुंडक्कई गांवों में एक भयंकर भूस्खलन हुआ, जिससे भारी तबाही मची। इस आपदा में 298 लोग मारे गए, जिनमें से 231 शव और 223 शरीर के हिस्से मिले। 32 लोग लापता हुए, जिन्हें मृत घोषित किया गया। 17 परिवारों के 58 सदस्य पूरी तरह से नष्ट हो गए। इसके अलावा, 1685 इमारतों – घरों, स्कूलों, सरकारी दफ्तरों, आंगनवाड़ी केंद्रों, दुकानों और धार्मिक स्थानों – को भी गंभीर नुकसान हुआ।

शैक्षिक संस्थानों और कृषि पर असर

भूस्खलन से दो प्रमुख शैक्षिक संस्थान – सरकारी व्यावसायिक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय वेल्लर्माला और सरकारी निम्न प्राथमिक विद्यालय मुंडक्कई – पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए, जहां 658 छात्र पढ़ते थे। इन स्कूलों की पुनर्निर्माण प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो पाई है। इसके अलावा, 110 एकड़ कृषि भूमि भी नष्ट हो गई, जिसमें चाय, कॉफी और इलायची की फसलें शामिल थीं। कृषि और पर्यटन पर निर्भर लोग अब बेरोजगार हो गए हैं। जीप और ऑटो-रिक्शा चालक, दुकानदार, होम-स्टे संचालक और पर्यटन गाइड जैसे लोग अपनी आजीविका से वंचित हो गए हैं।

वायनाड को तत्काल मदद की जरूरत

सांसद ने कहा कि वायनाड को तत्काल वित्तीय और बुनियादी ढांचा सहायता की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वायनाड के लोग साहसी और मेहनती हैं, लेकिन इस आपदा से उबरने के लिए उन्हें राज्य और केंद्र सरकार से निर्णायक समर्थन की आवश्यकता है। दुर्भाग्यवश, पुनर्वास प्रक्रिया बहुत धीमी गति से चल रही है, जिससे लोगों की मानसिक स्थिति और भी खराब हो रही है और भविष्य को लेकर उनका विश्वास कम हो रहा है।

केंद्र सरकार का राहत पैकेज और उसकी शर्तें

सांसद ने केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में घोषित ₹529.50 करोड़ के राहत पैकेज पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह राहत पैकेज न केवल अपर्याप्त है, बल्कि इसके साथ दो कठोर शर्तें भी जोड़ी गई हैं। पहली शर्त यह है कि यह राशि एक ऋण के रूप में दी जाएगी, जबकि आमतौर पर ऐसी आपदाओं के लिए अनुदान दिया जाता है। दूसरी शर्त यह है कि यह राशि 31 मार्च 2025 तक पूरी तरह से खर्च करनी होगी। सांसद ने इन शर्तों को अत्यंत अन्यायपूर्ण और संवेदनहीन बताया, जो चूरलमला और मुंडक्कई के पीड़ितों की स्थिति के प्रति सरकार की उपेक्षा को दिखाती हैं।

प्रधानमंत्री से पुनर्विचार की अपील

सांसद ने प्रधानमंत्री मोदी से अपील करते हुए कहा कि उन्होंने स्वयं इस आपदा के बाद प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया था, जिससे स्थानीय लोगों को उम्मीद थी कि केंद्र सरकार से बड़ी वित्तीय मदद मिलेगी, लेकिन वह उम्मीद पूरी नहीं हुई। उन्होंने प्रधानमंत्री से यह अनुरोध किया कि राहत पैकेज को ऋण के रूप में न देकर अनुदान के रूप में बदला जाए और इसके उपयोग की समयसीमा को बढ़ाया जाए, ताकि प्रभावित लोग अपनी जिंदगी को फिर से संजीवित कर सकें और उन्हें भविष्य के प्रति उम्मीद मिल सके।

वायनाड के लोग हर सहायता के हकदार हैं

सांसद ने कहा कि वायनाड के लोग इस भयंकर आपदा से उबरने के लिए हर संभव सहायता के हकदार हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि वे इस मुद्दे पर सहानुभूति दिखाएं और पीड़ितों के पुनर्निर्माण में तेजी लाने के लिए त्वरित कार्रवाई करें। इससे न केवल प्रभावित लोग अपने जीवन को पुनः स्थापित कर सकेंगे, बल्कि उन्हें यह विश्वास भी मिलेगा कि भविष्य में कोई आशा और संभावनाएं हैं।

सांसद की यह अपील केंद्र सरकार से संवेदनशील और त्वरित प्रतिक्रिया की उम्मीद जताती है, ताकि वायनाड के लोग अपनी जिंदगी को फिर से पुनर्निर्माण कर सकें और एक नए उत्साह और उम्मीद के साथ भविष्य का सामना कर सकें।

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